तारीख़: 27 अक्टूबर 2025

रॉयटर्स पोल और अन्य बाजार संकेतक बताते हैं कि इस वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था लगभग 6.7% की दर से बढ़ सकती है, जो पिछले आकलन की तुलना में थोड़ी बढ़ोतरी है। यह सुधार घरेलू उपभोक्ता मांग में मजबूती, अप्रैल-जून तिमाही में अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन, सरकारी पूंजीगत व्यय में वृद्धि और त्योहारों के मौसम में रिटेल तथा सेवा गतिविधियों के सुदृढ़ होने से प्रेरित है। हालांकि अर्थशास्त्री चेतावनी देते हैं कि मजबूत घरेलू मांग और सार्वजनिक निवेश अल्पकालिक गति प्रदान कर रहे हैं, परंतु भू-राजनैतिक तनाव, वैश्विक व्यापार में मंदी और कमोडिटी कीमतों की अस्थिरता जैसे बाहरी जोखिम वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं। यदि मुद्रास्फीति लक्ष्य के भीतर बनी रहती है तो मौद्रिक प्राधिकरण क्रमिक ढील पर विचार कर सकते हैं, पर वे पूंजी प्रवाह और मुद्रा स्थिरता पर कड़ी नजर बनाए रखेंगे। नीतिगत सलाहकार उत्पादकता सुधार, वित्तीय समावेशन विस्तार और आपूर्ति-पक्ष की बाधाओं को दूर करने पर जोर दे रहे हैं ताकि समावेशी विकास टिकाऊ बने। संक्षेप में, यह अनुमान सतर्क आशावाद दर्शाता है — भारत की मैक्रो फंडामेंटल्स मजबूत हैं, पर टिकाऊ एवं रोजगार-उन्मुख विकास के लिए नीतिगत फुर्ती जरूरी होगी।